जिसको भी मैंने चाहा मगरूर हो गया,
सोचा था होगा मरहम नासूर हो गया.
मेरे सियाह कूचे और इनमें तेरी आमद,
ऐसा लगा कि दिल मेरा पुरनूर हो गया.
जान कर खिलौना तुम इस अदा से खेले,
शीशे का दिल ये मेरा चक्नाचूर हो गया.
इक जादू हमपे तेरी कुर्बत ने ऐसा फेरा,
हम जान ही न पाए तू कब दूर हो गया.
तुम जो गए जिंदादिली मेरी भी यूँ गई,
जज़्बा जीये जाने का वो काफूर हो गया.