एक नई रूबाई:
नींद गर न भी आये, तो भी रातें बीत जाती हैं, तन्हाईयाँ कुछ हसरतों के गीत गाती हैं, बाक़ी नहीं अब यूँ तो कोई गम मगर फिर भी, तुम्हारी याद आती है तो पलकें भीग जाती हैं.
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