Sung by Nusrat Fateh Ali Khan Saheb
कहाँ आ के रुकने थे रास्ते, कहाँ मोड़ था उसे भूल जा
वो जो मिल गया उसे याद रख, जो नहीं मिला, उसे भूल जा
वो तेरे नसीब की बारिशें किसी और छत पे बरस गईं
दिल-ए-बेखबर मेरी बात सुन, उसे भूल जा, उसे भूल जा
मै तो गुम था तेरे ही ध्यान में, तेरी आस, तेरे गुमान में
सबा कह गयी मेरे कान में, मेरे साथ आ, उसे भूल जा
किसी आंख में नहीं अश्क-ए-ग़म, तेरे बाद कुछ भी नहीं है कम
तुझे ज़िन्दगी ने भुला दिया, तू भी मुस्करा, उसे भूल जा
न वो आंख ही तेरी आंख थी, न वो ख्वाब ही तेरा ख्वाब था,
दिल-ए-मुन्तजिर तो ये किस लिए तेरा जागना, उसे भूल जा
यह जो रात दिन का है खेल सा, इसे देख, उस पे यकीन न कर,
नहीं अक्स कोई भी मुस्तक़िल, सर-ऐ-आइना, उसे भूल जा…
जो बिसात-ए-जाँ ही उलट गया, वो जो रास्ते से पलट गया..
उसे रोकने से हुसूल क्या, उसे मत बुला, उसे भूल जा
तो ये किस लिए सब-हिज्र के हर सितारे में उसे देखना
वो फलक के जिस पे मिले थे हम, कोई और था, उसे भूल जा..
तुझे चाँद बन के मिला था जो, तेरे साहिलों पे खिला था जो,
वो था एक दरिया विसाल का, सो उतर गया, उसे भूल जा…